इजराइल और फिलीस्तीन के बीच 11 दिन चली जंग शुक्रवार को थम गई। हमास (इजराइल और पश्चिमी देश इसे आतंकी संगठन बताते हैं) ने फिलीस्तीन के गाजा पट्टी इलाके से इजराइल पर रॉकेट दागना बंद कर दिए। इजराइली एयरफोर्स ने भी गाजा पर बमबारी बंद कर दी। हालांकि, कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि अल अक्सा मस्जिद कम्पाउंड में इजराइली पुलिस और फिलीस्तीनियों के बीच झड़पें हुईं।
बहरहाल, दोनों पक्ष जंग थमने के बाद अब बयानबाजी पर उतर आए हैं। इसलिए रॉकेट और बमों की आवाजें थमने के बाद भी तनाव तो बरकरार है। हालांकि, सीजफायर कराने में अहम भूमिका निभाने वाले अमेरिका और इजिप्ट ने दोनों पक्षों को संभलकर बोलने की हिदायत दी है।
इजराइली प्रधानमंत्री ने क्या कहा
इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने शुक्रवार शाम मीडिया से बातचीत की। कहा- जंग की शुरुआत हमने नहीं की थी। बिना उकसावे के हमास ने 4 हजार रॉकेट इजराइल पर दागे। इन हालात में कोई भी देश खामोश नहीं रह सकता और हम भी अलग नहीं हैं। आयरन डोम के जरिए हमने अपनी रक्षा की। अगर ये नहीं होता तो हमें जमीनी कार्रवाई करनी पड़ती और इससे दूसरी तरफ बहुत ज्यादा नुकसान होता।
बाइडेन का शुक्रिया
एक सवाल के जवाब में नेतन्याहू ने कहा- अमेरिकी प्रेसिडेंड जो बाइडेन और दूसरे वर्ल्ड लीडर्स ने इजराइल का साथ दिया। इसके लिए हम उनके शुक्रगुजार हैं। इन नेताओं ने दुनिया को मैसेज दिया है कि लोकतंत्र के जरिए कैसे आगे बढ़ा जाता है और आतंकी कैसे मौतों पर जश्न मनाते हैं। भविष्य के लिए यह हमारे लिए एक सबक है।
इजराइली पीएम ने अफसरों से कहा है कि वो हमास के रॉकेटों का शिकार बने एश्केलोन शहर के लिए नई योजना बनाएं। यहां के लोगों को टैक्स बेनिफिट्स भी दिए जाएंगे।
हमास ने जीत का दावा किया
नेतन्याहू की प्रतिक्रिया काफी सधी रही। दूसरी तरफ, हमास के पॉलिटिकल चीफ इस्माइल हानिया के तेवर तल्ख थे। एक बयान में उन्होंने कहा- हमने दर्द सहकर भी इजराइल को इस जंग में हरा दिया। इसका इजराइल के भविष्य पर असर पड़ेगा। हैरानी की बात ये है कि सीजफायर के लिए उन्होंने इजिप्ट का शुक्रिया अदा तो किया, लेकिन अमेरिका का जिक्र तक नहीं किया। इससे भी खास यह है कि हानिया ने हमास को हथियार देने के लिए ईरान की तारीफ की।
हानिया का यह बयान आने वाले दिनों में फिलीस्तीन और हमास दोनों के लिए मुसीबत खड़ी कर सकता है। क्योंकि, ईरान हमेशा से अपने एटमी कार्यक्रम को लेकर अमेरिका और इजराइल के निशाने पर रहा है।
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